- 33 Posts
- 47 Comments
प्रिया मित्रों ,
आज मै आप के बीच एक ऐसे मुद्दे को ले कर आया हूँ जिसपे हम सदियों से चर्चा करते चले अ रहे है पर हर दौर में ये समझना मुश्किल हो जाता है कि पैसा इंसानियत पर भरी पड़ता है कि इंसानियत पैसे को अपने उप्पर काबिज होने देती है .
आज हमारे बिच में अगर आमिर और गरीब कि दिवार बनी है तो उसका जनक पैसा ही है , इंसान के बीच में आज पैसे के कारण ही भेद भाव है और जिसके पास पैसा है वो अपने आप को अपने से कम हैसियत वालों का भगवन ही समझता है और उनको अपने नौकर से ज्यादा कुछ नहीं समझता है , शायद ये भी भूल जाता है कि उप्पर वाले ने सबको बराबर का दर्ज़ा दिया है और एक दिन उसको भी भगवन का सामना करना है .
गरीब पूरी ज़िन्दगी पैसे वालों कि सेवा करता है और आमिर उसकी सेवा को चंद कागज़ के टुकड़ो से तौल देता है , उस इंसान के दिल के भाव को नहीं देखता और न ही उसकी इंसानियत और ईमानदारी को.
वहीँ दूसरी तरफ अगर कोई इंसान गलती से अपने मुफलिसी के दौर में किसी से मदद मागता है तो शायद उसके अपने भी उसका साथ छोड़ देते हैं जैसे उस बेचारे कि ज़िन्दगी में कभी सवेरा होगा ही नहीं और यही उपेक्षा आगे चल के समाज में इतनी बड़ी दरार पैदा कर देती है जो शायद आज तक नहीं भर पायी है.
चंद पैसों के लिए आज एक इंसान दूसरे इंसान कि जान लेने में तनिक भी नहीं सकुचाता है और इस गिनौने अपराध के बाद भी वो समाज के रसूकदार लोगो में गिना जाता है क्यूंकि उसके पास पैसा होता है अब चाहे वो कहीं से भी आया हो , कल तक समाज कि सेवा करने वाले ज़मीन से जुड़े हुए लोग होते थे और उनकी वेश भूषा साधारण सी दिखती थी पर आज उसके विपरीत होता है , जो समाज कि सेवा करने आता है उसकी पहली क्वालिफिकेशन उसका पैसा है फिर वो अपने ख़ानदान और अपनी सेवा पहले करता है और अगर कुछ बचता है तो समाज कि तरफ भीक कि तरह बाँट देता है और अगर ये सच नहीं है तो आज कल के पॉलिटिशंस के पास करोडो रुपये कहाँ से आते है ……..!!
कही न कही हमे इंसानियत को नहीं भूलना चाहिए और गरीब और अमीर कि दिवार को अनदेखा करना पड़ेगा नहीं तो कल शायद हमें प्रायश्चित करने का भी मौका ना नसीब हो………..!!
मैंने चंद शेर अपने इस विडियो में पैसा और इंसानियत के उप्पर लिखे है और वो आप को कुछ सोचने पर मजबूर जरूर करेगा .
जय हिन्द …..!!!
हिमांशु विजय भट्ट
Read Comments